Thursday, December 16, 2010

नया साल --नई शुरूआत

इसकी कल्पना की है एक नये समाज के रूप में जिसमे सब एक दूसरे के साथ हों।

पहले हम गाँवो/छोटे शहरों मे रहते थे,आपसी सद्भाव, भाई-चारा और पारिवारिक सम्बन्धों की प्रगाढ़ता रहती थी.जिसका मुख्य कारण एक-दूसरे की मदद करना ही  होता था।
..संयुक्त परिवारों मे सब मिलकर काम करते थे. कमाई का एक बड़ा हिस्सा सबके लिये मिलकर खर्च किया जाता था ।
सब अपना-अपना निर्धारित कार्य करते थे ,किसी में ये भावना नहीं आती थी कि कि हम किसी दूसरे के लिये काम क्यों करें ?
क्यों अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा उनपर खर्च करें जो कुछ काम नहीं करता या हमसे कम काम करता है .या हमसे कम कमाता है?
सिर्फ़ पैसा ही महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि एक-दूसरे के लिये कार्य करने  की भावना ,मिलजुल कर कार्य करेने की भावना का होना महत्वपूर्ण होता है ।
पड़ोसी को भी पड़ोसी के घर की सब खबर रहती थी.कि आज फ़लां बच्चा रास्ते मे किसके साथ कहाँ जा रहा था ..या  किसी ने बच्चे के हाथ सब्जी का झोला पहुचा दिया कि चाची को दे देना..या आज मुन्ना आपके यही खा लेगा..या...
 मै यहाँ उस  बच्चे की देखभाल कर लूँ जो यहाँ बाजू में कमरा लेकेर अकेला पढ़ने आया है और कोई और दूसरे शहर में  मेरे बच्चे की....

बहुत सी बातें है जो समय के साथ बदल चुकी है या खतम हो चुकी है ......हमें उसी सामाजिक वातावरण को फ़िर से बनाना है जो इंटर्नेट व ब्लॉगिंग के जरिये सम्भव है....

8 comments:

  1. नया साल --नई शुरूआत!
    शुभ सन्देश!
    आपके नये ब्लॉग का स्वागत है!

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  2. आपके नये ब्लॉग का स्वागत है!

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  3. आपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .

    http://charchamanch.uchcharan.com/


    word verification hata den ...

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  4. नया साल ,नई शुरूआत!
    आपके नये ब्लॉग का स्वागत है

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  5. सब वत्सल के साथ हैं
    व्हैरिफ़िकेशन हटाएं

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  6. अर्चना जी
    आपके नये ब्लॉग का स्वागत है...

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  7. स्वागत है। देर से ही सही।
    आज कल नए ब्लॉग की जानकारी नहीं मिलती।

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